Lalita Vimee

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मेरे चंद अहसास

वक्त


आहिस्ता आहिस्ता कब ज़िंदगी की
              शाम ढल गई
दौर-ए-गर्दिश में मुझसे
    वक्त भी ना थामा गया।

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